यहीं कोई 59-60 साल उम्र होगी उनकी,
इस उम्र में कोई सहारा नही मिला होगा तभी लोगो की
जूठी प्लेट उठाने का काम करते हैं ,
अभी कुछ देर पहले का वाकया है ,
मैं एक रेस्टोरेंट में खाना खा रहा था, वो जो उम्र के इस पड़ाव में अपने पेट भरने का सहारा उसी जगह से बनाए हुए थे ,
हाथों 4 बटर मिल्क की ट्रे लिए हुए 3 सीडी चड़ कर देने जा रहे थे,
लोग रिश्ते निभाने में अक्सर फिसल जाते हैं ,वो तो आखिर ढलती उम्र के पैर थे , एकदम से फिसले और बटर मिल्क जा गिरा चार उन लोगों पर जिनकी रगों में नया खून अभी कुछ साल पहले बहना चालू हुआ है।
अगर वो मिल्क उसके किसी परिवार वाले पर गिरा होता तो उतना उग्र न होता जितना उसकी प्रेमिका के ऊपर गिरने पर हुआ ,
देखते ही देखते उसने उनकी गिरेवान को पकड़ा और चंद गालियों से अपने खोखले रुतवे को प्रेमिका सामने दिखा दिया
संस्कारों और आदर की हत्या हो चुकी थी ,
वो दादा जी अपने किये पर पछताए भी और हाथ जोड़ कर माफी भी मांगी , आखिर वो नही चाहते थे के उनका वो आखिरी सहारा भी छिन जाये जिससे उन्हे दो जून की रोटी नसीब होती है ।
ये है युवा शक्ति जो अपना गुरुर सिर्फ छद्म रुतबे को जताने के लिए सब कुछ कर सकता है ।
मैं कुछ न कर सका , बात न बड जाये तो स्वघोषित कायर समझ लौट आया अपनी जगह।
इस उम्र में कोई सहारा नही मिला होगा तभी लोगो की
जूठी प्लेट उठाने का काम करते हैं ,
अभी कुछ देर पहले का वाकया है ,
मैं एक रेस्टोरेंट में खाना खा रहा था, वो जो उम्र के इस पड़ाव में अपने पेट भरने का सहारा उसी जगह से बनाए हुए थे ,
हाथों 4 बटर मिल्क की ट्रे लिए हुए 3 सीडी चड़ कर देने जा रहे थे,
लोग रिश्ते निभाने में अक्सर फिसल जाते हैं ,वो तो आखिर ढलती उम्र के पैर थे , एकदम से फिसले और बटर मिल्क जा गिरा चार उन लोगों पर जिनकी रगों में नया खून अभी कुछ साल पहले बहना चालू हुआ है।
अगर वो मिल्क उसके किसी परिवार वाले पर गिरा होता तो उतना उग्र न होता जितना उसकी प्रेमिका के ऊपर गिरने पर हुआ ,
देखते ही देखते उसने उनकी गिरेवान को पकड़ा और चंद गालियों से अपने खोखले रुतवे को प्रेमिका सामने दिखा दिया
संस्कारों और आदर की हत्या हो चुकी थी ,
वो दादा जी अपने किये पर पछताए भी और हाथ जोड़ कर माफी भी मांगी , आखिर वो नही चाहते थे के उनका वो आखिरी सहारा भी छिन जाये जिससे उन्हे दो जून की रोटी नसीब होती है ।
ये है युवा शक्ति जो अपना गुरुर सिर्फ छद्म रुतबे को जताने के लिए सब कुछ कर सकता है ।
मैं कुछ न कर सका , बात न बड जाये तो स्वघोषित कायर समझ लौट आया अपनी जगह।
अभय जैन "आकिंचन"