Friday, October 19, 2012


written on 16/july/2009
वो तेज हवाएं कुछ देर की होती हैं ..
वो बहारों की फिजाये कुछ देर की होती हैं ...
हमें तो निभाना होता है खुद ही अपने फर्जो को ..
दूसरो की दुआए कुछ देर की होती हैं ..
प्यारा लगा है लहरों का किनारों से मिलना ..
पर ये हसीं घटाए कुछ देर की होती हैं ...

Wednesday, August 22, 2012

mansoon special..


वो भटकती बारिश की बूँद ने पत्तो को फिर हरा कर दिया ..
यूँही मुश्कराहट भरे आंसुओ की एक बूँद तो दे दे.....!!
मैं नहीं हूँ लालची तुझे हर वक़्त पाने का
वो पल जिसमे तू मेरी है वो कीमती पल तो दे दे.....!!
मेरी खामोशियो ने कोहराम मचा दिया होगा तेरे दिल में .
उन धडकनों को थोडा आराम तो दे दे.......!!
आवारा लहरे किनारों संग कई रिश्ते बना कर चली गयी
किनारे अब भी ताक में है इस रिश्ते का कोई नाम तो दे दे ....!!

Sentiments



finally my latest poem after a long time..

 पत्थर सा मजबूत बना दे मुझे ,तो मैं कोई तूफ़ान से न डरु
 जीने की राह दिखा दे मुझे ,तो मैं कोई एहसान के लिए न मरू
 राह चलते मुशाफिरो को खूब अपना बना कर देख लिया
 जो नहीं जानते अहमियत रिश्तो की, तो कोई रिश्ते इजाद ही न करू
 घरोंदे प्यार के अक्सर ही कही देखने को मिला करते हैं..
 मुझे वो तरकीब दे , तो किसी प्यार के लिए मुहताज ना रहूँ ..

Sunday, January 8, 2012

I wrote it when i was in class 10th

पतझड़ो के बाद बहारों को आने तो दीजिये
नोनिहालों को घरोंदे बनाने तो दीजिये ..
वो भी ले आयेगे डूबती कश्ती को किनारे पर
किश्मत उन्हें अपनी आजमाने तो दीजिये ..