हाँ मैं अब खुश नहीं रहता ,
कही कोई फिर से न रुला दे इसलिए अब हसना छोड़ दिया
कौन कहता है की लहरे आलिंगन करती है किनारों के संग ,
बस हवा लाती है ,
बापिस ले जाती है ..
चकोर को नहीं है प्यार चन्द्रमा से
वो तो बस यूँही चाँद के दाग की
जिज्ञासा लिए एकटक देखता रहता है....
मैं अब किनारों पर रेत के घरोंदे भी नही बनाता ,
क्या पता लहरे कब आये और खाक कर दे
ख्वाबो के आशियाने को ...
प्यार
इश्क
कोई चीज नही दुनिया मैं
जो स्वयम मैं पूर्ण नही , अपाहिज से लगते हैं ...
ABHAY JAIN
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